Wednesday, June 11, 2025

भारत में म्यूचुअल फंड में जोखिम लेना क्यों ज़रूरी है?

 

📈 भारत में म्यूचुअल फंड में जोखिम लेना क्यों ज़रूरी है?

“जोखिम तब आता है जब आपको नहीं पता कि आप क्या कर रहे हैं।” – वॉरेन बफे

भारत में जब भी ‘जोखिम’ की बात होती है, ज़्यादातर लोग डर जाते हैं
लोगों को लगता है कि निवेश में जोखिम का मतलब है पैसा डूबना — और इसी डर से वे इक्विटी म्यूचुअल फंड्स, शेयर बाजार या सेक्टोरल अवसरों से दूर रहते हैं।

और फिर वे पैसा लगाते हैं:

  • फिक्स्ड डिपॉजिट्स में

  • पारंपरिक बीमा योजनाओं में

  • या सिर्फ सोना खरीद कर

लेकिन सच्चाई यह है:
निवेश में जोखिम से बचना, असल में सबसे बड़ा जोखिम है।

चलिए समझते हैं कि भारत में म्यूचुअल फंड्स के ज़रिए जोखिम लेना क्यों जरूरी है — और कैसे यह आपको तेज़ी से धन निर्माण में मदद करता है।


🚨 1. महंगाई चुपचाप आपकी बचत खा रही है

भारत में महंगाई धीरे-धीरे आपकी बचत की ताकत कम कर देती है।

  • औसतन महंगाई दर: 6–7%

  • FD का रिटर्न (टैक्स के बाद): 4–5%

  • असली रिटर्न: नकारात्मक

यानि अगर आप सिर्फ FD या सेविंग्स में पैसा रख रहे हैं, तो आप लॉन्ग टर्म में पैसा गंवा रहे हैं।

✅ म्यूचुअल फंड्स — खासकर इक्विटी फंड्स — लंबे समय में 8–15% तक रिटर्न दे सकते हैं, जो महंगाई को हराते हैं।


⏳ 2. लंबी अवधि में जोखिम कम हो जाता है

शॉर्ट टर्म में इक्विटी म्यूचुअल फंड्स उतार-चढ़ाव वाले हो सकते हैं।
लेकिन 5–10 साल या उससे ज़्यादा समय में ये अस्थिरता कम हो जाती है और रिटर्न काफी अच्छा मिलता है।

📊 निफ्टी 50 TRI (20 वर्षों का CAGR): ~12.7%

“जोखिम केवल शॉर्ट टर्म में होता है — लेकिन लंबी अवधि में अवसर खोना असली जोखिम है।”


💸 3. बिना जोखिम के धन निर्माण संभव नहीं

भारत के अमीर लोगों को देखें — उन्होंने FD या LIC से पैसा नहीं बनाया।

  • उन्होंने व्यापार बनाए

  • इक्विटी में निवेश किया

  • सही समय पर रियल एस्टेट में निवेश किया

अगर आप:

  • अमीर बनना चाहते हैं

  • रिटायरमेंट के लिए सेव करना चाहते हैं

  • या बच्चों के लिए भविष्य बनाना चाहते हैं

तो आपको जोखिम लेना सीखना होगा।


🧠 4. जोखिम को समझा और मैनेज किया जा सकता है

म्यूचुअल फंड्स में जोखिम को मैनेज करने के कई तरीके हैं:

  • SIP से समय का जोखिम कम होता है

  • Asset Allocation से संतुलन बनता है

  • गिरावट में Top-Up SIP से लाभ बढ़ता है

  • SWP से रिटायरमेंट फेज में मदद मिलती है

  • Portfolio Review से फंड से जुड़ा जोखिम घटता है

यानि, डरने की नहीं — सीखने और प्लान करने की जरूरत है।


🇮🇳 5. भारत की तेज़ विकास दर में हिस्सा लेना ज़रूरी है

भारत आज दुनिया की सबसे तेज़ी से बढ़ती अर्थव्यवस्था है:

  • युवा जनसंख्या

  • डिजिटल इंडिया

  • इन्फ्रास्ट्रक्चर विकास

  • डिफेंस, मैन्युफैक्चरिंग और कैपिटल मार्केट्स में उछाल

अगर आप इक्विटी म्यूचुअल फंड्स के ज़रिए इसमें हिस्सा नहीं ले रहे — तो आप भारत की ग्रोथ स्टोरी से बाहर हैं।


👇 निष्कर्ष:

अगर आप:

  • युवा हैं,

  • सैलरीड हैं,

  • व्यापारी हैं,

  • या रिटायरमेंट की प्लानिंग कर रहे हैं —

तो आपको जोखिम से नहीं भागना है, बल्कि समझदारी से संभालना है।

💬 "सिर्फ पैसा बचाना काफी नहीं, उसे आपके लिए काम पर लगाना जरूरी है।"

म्यूचुअल फंड्स में जोखिम है — लेकिन निवेश न करना उससे भी बड़ा जोखिम है।


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