⚠️ हेल्थ इंश्योरेंस की छुपी बातें जो कोई नहीं बताता
1. ⏳ Waiting Period (प्रतीक्षा अवधि)
> बीमा लेते ही सारे इलाज कवर नहीं होते।
👉 कुछ बीमारियाँ (जैसे डायबिटीज, थायरॉइड, पीठ दर्द) के लिए 2-4 साल तक वेटिंग पीरियड होता है।
---
2. 🚫 Pre-Existing Diseases का पूरा कवर नहीं होता तुरंत
> अगर आपको पहले से कोई बीमारी है, तो उसे तुरंत कवर नहीं किया जाएगा।
👉 कुछ कंपनियाँ उसे 2 से 4 साल बाद ही कवर करती हैं।
---
3. 🏥 Network Hospital में नहीं जाने पर कम क्लेम मिलता है
> बीमा कंपनी के नेटवर्क अस्पताल में इलाज कराने पर कैशलेस सुविधा मिलती है।
👉 लेकिन अगर आप बाहर इलाज कराते हैं, तो आपको खुद भुगतान करना पड़ सकता है और बाद में आंशिक रिफंड ही मिलता है।
---
4. 🛌 Room Rent Limit
> हर पॉलिसी में एक रूम का किराया लिमिट होता है (जैसे ₹3,000/₹5,000)।
👉 अगर आप इससे महंगा रूम लेते हैं, तो पूरा इलाज महंगा मानकर आपको कम क्लेम दिया जाएगा।
---
5. 📄 Sub-Limits on Diseases
> कुछ बीमारियों पर बीमा कंपनियाँ सब-लिमिट लगाती हैं।
👉 जैसे – कैंसर, किडनी या हार्ट का इलाज ₹5 लाख कवर है, पर हर बीमारी पर अलग लिमिट हो सकती है।
---
6. 💊 OPD और Routine Checkup आमतौर पर कवर नहीं होते
> रोजमर्रा की डॉक्टर विजिट, दवाइयाँ और लैब टेस्ट अक्सर कवर नहीं होते, जब तक वो पॉलिसी में साफ़ ना लिखा हो।
---
7. ❗ Claim Rejection Reasons छुपे होते हैं
> मामूली सी जानकारी छुपाने या समय पर डॉक्युमेंट्स न देने पर क्लेम रिजेक्ट हो सकता है।
👉 एजेंट ये नहीं बताते कि हर बात डॉक्युमेंटेड होनी चाहिए।
---
✅ Bonus Tip:
Policy Wordings हमेशा ध्यान से पढ़ें — और हर साल रिन्यूअल के समय भी शर्तें बदल सकती हैं।
---
🔑 निष्कर्ष:
> हेल्थ इंश्योरेंस सिर्फ प्रीमियम भरने से नहीं चलता, समझदारी से लेने से चलता है।
Contact no. 7737726236 for more info
No comments:
Post a Comment